उत्तराखंडहरिद्वार

Haridwar एक लोटा जल से भी प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ, वजन का कंपटीशन न करें कांवड़िये:श्री महंत रविंद्र पुरी

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने की अपील, शरीर पर न करें अत्याचार

 

हरिद्वार।

कांवड़ मेले में अत्यधिक गंगाजल लेकर चलने के कंपटीशन पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने चिंता जताई है। उन्होंने मीडिया के माध्यम से कांवड़ियों से अपील की है कि वजन उतना ही उठाएं, जितना आसानी से उठा सकें। अत्यधिक वजन उठाने से होने वाले खतरों से सावधान करते हुए श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि भगवान भोलेनाथ एक लोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं। कांवड़ यात्रा को प्रतिस्पर्धा का मंच न बनाएं।कांवड़ यात्रा के पावन अवसर पर हरिद्वार से गंगाजल लेकर हजारों शिवभक्त पैदल यात्रा पर निकल रहे हैं। लेकिन श्रद्धा की इस यात्रा में अब प्रतिस्पर्धा की प्रवृत्ति भी दिखाई देने लगी है। कोई दस-दस कलश लादकर चल रहा है, तो कोई कांवड़ की ऊंचाई और सजावट में आगे निकलने की होड़ में है।इस पर श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने श्रद्धालुओं को चेताया है कि यह यात्रा दिखावे की नहीं, भक्ति और आत्मशुद्धि की है। उन्होंने कहा कि “कांवड़ में अत्यधिक वजन उठाने से रीढ़ की हड्डी और घुटनों पर गहरा असर पड़ सकता है। यह कोई तप नहीं, बल्कि शरीर पर अत्याचार है।”उन्होंने यह भी कहा कि “ओम नमः शिवाय का जाप करिए, सादगी से गंगाजल चढ़ाइए। भगवान शिव भावना के भूखे हैं, बोझ के नहीं।”

महत्वपूर्ण बिंदु :

▪️ कांवड़ को प्रतियोगिता न बनाएं

▪️ श्रद्धा से चढ़ाया एक लोटा जल भी काफी

▪️ रीढ़ व घुटनों को नुकसान पहुंचा सकता है अत्यधिक वजन

▪️ दिखावे से नहीं, सच्चे मन से होती है शिव भक्ति

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> “कांवड़ यात्रा आत्मा को शिव से जोड़ने की साधना है। इसमें प्रदर्शन और प्रतिस्पर्धा का कोई स्थान नहीं।”

श्रीमहंत रविंद्र पुरी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद

 

 

 

 

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